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December/29/2024 Sunday

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रोग से मुक्ति के लिए अपनाएं 6 सूत्र: स्वस्थ जीवन का मूलमंत्र है योग


“ योग प्रत्येक व्यक्ति का आंतरिक और बाह्य संतुलन को साधने का काम करता है, जो योग को अपनाता है वो जीवन के दु: खों से मुक्त हो जाता है।”


मानव जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू है स्वास्थ्य। प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि-मुनियों ने शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए विभिन्न उपाय खोजे थे, जिनमें से योग का महत्त्वपूर्ण स्थान है। योग न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।

जीवन को शांत और स्थिर बनाने में जो स्थिति योग ने प्राप्त की वो अपने आप के अतुलनीय है। आइए जानते हैं वे छह सूत्र जो हमें रोग मुक्त जीवन की ओर ले जाते हैं और जिनका मूलमंत्र है योग।


1. प्राणायाम: श्वास का विज्ञान


प्राणायाम अर्थात् श्वास का विस्तार। विभिन्न प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम, कपालभाति और भस्त्रिका न केवल श्वसन तंत्र को मजबूत बनाते हैं, बल्कि शरीर में ऑक्सीजन का संचार भी बढ़ाते हैं। नियमित प्राणायाम से रक्तचाप नियंत्रित रहता है, तनाव कम होता है, और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। प्राणायाम जीवन के प्रत्येक रुप को पूर्ण करने का प्रयास करता है।


2. आसन: शारीरिक स्थिरता और लचीलापन


आसन; शरीर की बनावट को स्थिरता और सुंदर आकार देता है। योग में विभिन्न आसनों का वर्णन है, जो शरीर के अलग-अलग अंगों पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, वृक्षासन, और धनुरासन जैसे आसन शरीर को लचीला और मजबूत बनाते हैं। ये आसन शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त संचार को सुधारते हैं, जिससे शरीर की सफाई होती है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।


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3. ध्यान: मानसिक शांति का सूत्र


गीता में ध्यान की स्थिति को प्राण कहा गया है। जो इसमें उतरता है वो स्वयं को महसूस करता है। ध्यान योग का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जो मानसिक शांति और एकाग्रता को बढ़ाता है। ध्यान के माध्यम से मन को शांत करना, विचारों को नियंत्रित करना और आत्म-चेतना को बढ़ाना संभव है। नियमित ध्यान से मानसिक तनाव, अवसाद और चिंता जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।


4. योग निद्रा: गहरे विश्राम की तकनीक


जब आप योगिक नींद की ओर बढ़ते हैं तो आप पूरे समय ऊर्जावान व्यक्तित्व से भरे होते हैं। योग निद्रा, जिसे योगिक नींद भी कहा जाता है, एक गहरी विश्राम की तकनीक है जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक थकान को दूर करती है। यह तनाव को कम करती है और शरीर को पुनर्जीवित करती है। योग निद्रा से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है और अनिद्रा जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। ये साधना के मार्ग पर भी आपको तैयार करती है।


5. सात्विक आहार: स्वास्थ्य की कुंजी


सात्विक आहार से शरीर के अंगों को स्थायित्व प्राप्त होता है और वो अपने गति को संतुलित करते हैं। योग में आहार का महत्त्वपूर्ण स्थान है। योगिक आहार शाकाहारी, संतुलित और प्राकृतिक होता है, जो शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। उचित आहार से शरीर में ऊर्जा का स्तर बना रहता है, पाचन तंत्र सही ढंग से काम करता है और शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।



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6. नियमित अभ्यास: निरंतरता का महत्त्व

योग का नियमित अभ्यास स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। प्रतिदिन योग करने से शरीर और मन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। नियमित योग अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और शरीर की प्राकृतिक उपचार शक्ति को बढ़ावा मिलता है।


निष्कर्ष

योग एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है, जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। इन छह सूत्रों का पालन करके हम न केवल रोग मुक्त जीवन जी सकते हैं, बल्कि एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन भी प्राप्त कर सकते हैं। स्वस्थ जीवन का मूलमंत्र है योग, और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाकर हम अपने जीवन को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं।


योग अपनाएं, स्वस्थ रहें, जीवंत रहें और जीवन का आनंद उठाएं!


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